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चालीसवाँ बोल - ७१
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पैर पकडे 1 पर राजा के सुलक्षण युक्त पैर देखकर वह सोचने लगी- यह तो कोई महापुरुष है । पैर के चिह्नों से मनुष्य के सम्पूर्ण शरीर का हाल मालूम हो जाता है । इस कथन के अनुसार चोरकन्या ने राजा के लक्षणयुक्त पैर देखकर विचार किया -- यह कोई महान् पुरुष है । ऐसे महान् पुरुष को पिताजी मार डालना चाहते हैं, यह उचित नही है ।
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चोरकन्या कहने लगी
मेरे पिता प्रत्यन्त क्रूर हैं । वे तुम्हे मार डालना चाहते हैं । मैं तुम्हारे लक्षणयुक्त पैर देखकर समझ गई हू कि तुम राजा हो । मैं तुमसे यही । कहना चाहती हू कि अगर अपने प्राण बचाना चाहते हो तो इस रास्ते से जल्दी भाग जाओ । वर्ना तुम्हारे प्राणो की खैर नही ।
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राजा ने चोरकन्या की बात मान ली । वह उसके बताये मार्ग से भाग निकला । राजा जब दूर जा पहुचा तो चोरकन्या ने मडूक को आवाज दी। कहा- वह भिखारी तो भाग गया ।
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भिखारी के भागने का समाचार पाते ही मडूक की आखें लाल हो गई । कक नामक पत्थर से बनाई गई तीखी तलवार लेकर वह राजा के पीछे दौडा । तलवार इतनी तीखी थी कि जिस चीज पर उसका प्रहार हुआ, तत्काल उसके टुकडे टुकडे हो जाते थे ।
चोर ने दूर से ही राजा पर तलवार का प्रहार किया । मगर वह प्रहार पत्थर के खभे पर जा लगा । खभा टुकडेटुकडे होकर गिर पडा । राजा बडी कठिनाई मे बच सका ।