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दिसम्बर १९८७ जुलाई १९८८ जुलाई १९८८ अक्टूबर १९८९ १९९० जनवरी-मार्च १९९० अप्रैल-जून १९९० १९९०
श्रमण
जुलाई-सितम्बर १९९० अक्टूबर-दिसम्बर १९९० जनवरी-मार्च १९९१
श्रमण
जुलाई -दिसम्बर १९९१
जैन विद्या के आयाम खण्ड - ६ कर्तव्यता का स्वरूप ६३. आचारांगसूत्र का विश्लेषण
श्रमण/वर्ष ३९/अंक २ ६४. जैनधर्म में का एक विलुप्त सम्प्रदाय: यापनीय श्रमण ६५. अध्यात्म और विज्ञान
श्रमण ६६. आचार्य हेमचन्द्र : एक युग पुरुष
श्रमण ६७. सतीप्रथा और जैनधर्म
साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ ६८. स्याद्वाद और सप्तभंगी : एक चिन्तन
श्रमण ६९. जैनधर्म में तीर्थ की अवधारणा ७०. पार्श्वनाथ जन्मभूमि मन्दिर वाराणसी का श्रमण/संस्कृत संधान, वाल्यूम३
पुरातत्त्वीय वैभव ७१. जैन परम्परा का ऐतिहासिक विश्लेषण श्रमण ७२. जैनधर्म में नारी की भूमिका
श्रमण ७३. समाधिमरण की अवधारणा की आधुनिक
परिप्रेक्ष्य में समीक्षा ७४. उच्चै गरशाखा के उत्पत्ति स्थान एवं उमास्वाति अप्रैल-जून
के जन्मस्थल की पहचान ७५, अन्तकृद्दशा की विषयवस्तु : एक पुर्नविचार Aspects of Jainology/वाल्यूम३ १९९१ ७६. मूल्य और मूल्य बोध की सापेक्षता का सिद्धान्त जनवरी-मार्च १९९२ ७७. गुणस्थान सिद्धानत का उद्भव एवं विकास श्रमण ७८. श्वेताम्बर मूलसंघ एवं माथुर संघ : एक विमर्श श्रमण ७९. जैनधर्म और आधुनिक विज्ञान
श्रमण ८०. प्रश्नव्याकरणसूत्र की प्राचीन विषयवस्तु प्राकृत जैन विद्या विकास खण्ड
की खोज ८१. बौद्धधर्म में सामाजिक चेतना ८२. भारतीय संस्कृति की समन्वित स्वरूप ८३. जैनधर्म में सामाजिक चेतना
श्रमण ८४. प्रर्यावरण के प्रदूषण की समस्या और जैनधर्म श्रमण ८५. जैनधर्म में स्वाध्याय का अर्थ एवं स्थान ८६. जैन कर्म सिद्धान्त : एक विश्लेषण
श्रमण ८७. अर्धमागधी आगम साहित्य में समाधिमरण की अवधारणा
श्रमण ८८. ऋग्वेद में अर्हत् और ऋषभवाची . ऋचाएँ: एक अध्ययन
श्रमण ८९. नियुक्ति साहित्य में : एक पुर्नर्चिन्तन
श्रमण ९०. जैनधर्म-दर्शन का सार तत्त्व
श्रमण ९१. भगवान महावीर का जीवन और दर्शन श्रमण ९२. जैनधर्म में भक्ति की अवधारणा
श्रमण ९३. महावरी के समकालीन विभिन्न आत्मवाद
एवं उसमें जैन आत्मवाद का वैशिष्टय् श्रमण
जनवरी-मार्च १९९२ जुलाई-सितम्बर १९९२ अक्टूबर-दिसम्बर १९९२ १९९२
धर्मदूत
श्रमण
१९९२ अप्रैल-जून १९९४ अप्रैल-जून १९९४ अप्रैल-जून १९९४ १९९४ १९९४
१९९४
१९९४ १९९४ १९९४ १९९४ १९९४
सुधर्मा १९९६
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