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समाधिमरण (मृत्युवरण) : एक तुलनात्मक तथा समीक्षात्मक अध्ययन
४२५ प्रका० अजीतनाथ जैन धर्मकरण, उदयपुर, वि०सं० २०३९। -उद्धृत दर्शन और चिन्तन, पं० सुखलाल जी संधवी, गुजरात संयुक्तनिकाय, अनु० जगदीश कश्यप एवं धर्मरक्षित महाबोधि सभा, विधानसभा, अहमदाबाद, १९५७, पृ० ५३६। सारनाथ, बनारस, १९५४, २१/२/४/५।
१८. श्री अमर भारती मार्च १९६५ पृ० २६ ९. संयुक्तनिकाय, अनु० जगदीश कश्यप एवं धर्मरक्षित महाबोधि सभा, १९. संजमहेउं देहो घारिज्जइ सो कओ उ तदमावे। सारनाथ, बनारस, १९५४, ३४/२/४/४।
संजम-फाइनिमित्तं देह परिपालणा इट्ठा।। १० अतिमानादत्रिक्रोधात्स्नेहाद्वा यदि वा भयात्।
- ओधनियुक्ति ४७ उद्ध्नीयात्स्त्री पुमान्वा गतिरेषा विधीयते
२०. श्रीअमरभारती, जैन संस्कृति की साधना, प्रका० सन्मति ज्ञानपीठ, पूयशोणितसम्पूणे अन्धे तमसि मज्जति।
आगरा, मार्च १९६५ पृ० २६। षष्टि वर्षसहस्राणि नरकं प्रतिपद्यते ।। -पराशरस्मृति ४/१/२ तुलना कीजिए-विसुद्धिमग्ग १/१३३। ११. महाभारत आदि पर्व १७९/२०
२१. दर्शन और चिन्तन, पं० सुखलाल संधवी, गुजरात विद्या सभा, १२. विशेष जानकारी के लिए देखिये-धर्मशास्त्र का इतिहास पृ० ४८८ अहमदाबाद, १९५७, खण्ड २ पृ० ५३३-३४।
-अपरार्क पृ० ५३६ २२. संभावितस्य चाकीर्तिमरणदतिरिच्यते।-गीता, गीता प्रेस, गोरखपुर, १३. धर्मशास्त्र का इतिहास पृ० ४८७
वि०सं० २०१८, २/३४। १४. धर्मशास्त्र का इतिहास पृ० ४८८
२३. परमसखा मृत्यु, काका कालेलकर, प्रका० सस्ता साहित्य मण्डल, १५. रत्नकरण्डश्रावकाचार २२
नई दिल्ली, १९७९, पृ० ३१ १६. देखिये
२४. वही, काका कालेलकर, प्रका० सस्ता साहित्य मण्डल, नई दिल्ली, (अ) दर्शन और चिन्तन, पं० सुखलालजी, गुजरात, विद्या सभा, १९७९, पृ० २६। अहमदाबाद, १९५७, पृ० ५३६।
२५. पार्श्वनाथ का चातुर्याम धर्म-भूमिका। (ब) नाभिनन्देत मरणं नाभिनन्देत जीवितम् -मनु
२६. परमसखा मृत्यु, काका कालेलकर, प्रका० सस्ता साहित्य मण्डल, उद्धृत परमसखा मृत्यु, काका कालेलकर, सस्ता साहित्य मण्डल, नई दिल्ली, १९७९, पृ० १९। नई दिल्ली,, १९७९, पृ०.२४।
२७. पाश्चात्य आचार विज्ञान का आलोचनात्मक अध्ययन पृ० २७३। (स) भवतृष्णा (जीने की तीव्र इच्छा) और विभवतृष्णा (मरने की तीव्र २८. परमसखा मृत्यु, काका कालेलकर, प्रका० सस्ता साहित्य मण्डल,
इच्छा) बुद्ध ने साधक को इन दोनों से बचने का निर्देश किया है। नई दिल्ली , १९७९, पृ० ४३। (द) जीवियं नाभिकंखेज्जा मरणं नावि पत्थए।
२९. गीता २/३४। १७. मरणपडियार भूया एसा एवं च ण मरणनिमित्ता जह गंडछेअकिरिआ ३०. परमसखा मृत्यु, काका कालेलकर, प्रका० सस्ता साहित्य मण्डल, णो आयविराहणारूपा।
नई दिल्ली, १९७९, पृ० ४३।
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