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सम्यक्त्व-निरूपण __ मूलः-निसग्गुवएस6ई, प्राणरुई सुत्तबीअरुइमेव ।
अभिगमविस्थाररुईः, किरियासंखेव धम्मलईः ॥५॥ छायाः-निसर्गोपदेशरुचिः, प्राज्ञारुचिः सूत्रबीजरुचिरेव। .
अभिगमविस्ताररुचिः, क्रिय संक्षेप धर्मरुचिः ॥५॥ - शब्दार्थः-सम्यक्त्व के कारण की अपेक्षा दस प्रकार हैं-(१) निसर्ग रुचि (२) उपदेशरुचि (३) आज्ञारुचि (४) सूत्ररुचि (५) बीजरुचि (६) अभिगमरुचि (७) विस्तार रुचि (८) क्रिया रुचि (6) संक्षेपरुचि और (१०) धर्मरुचि । : . . . . .
भाष्यः-सम्यक्त्व के स्वरूप का प्रतिपादन करके उसके भेदों का यहां कथन किया गया है । सम्यक्त्व आत्मा का स्वरूप है, तथापि दर्शन मोहनीय कर्म के उदय से आत्मस्वरूप भूत सम्यक्त्व विकारग्रस्त हो जाता है जब अन्तरंग कारण दर्शनमोह का क्षय, क्षयोपशम और उपशम प्राप्त हो जाता है और बाह्य निमित्तों का भी सद्भाव होता है तब दर्शन गुण की विकृति दूर हो जाती है। वही सम्यक्त्व कहलाता है। यहां सम्यक्त्व के बाह्य निमित्तों की अपेक्षा दस लक्षण बताये गये हैं। इनका स्वरूप इस भांति है-.
.. ... . . . . . . . . . :: (१) निसर्गरुचि-गुरु श्रादि का उपदेश श्रवण किये विना ही कर्मों की विशिष्ट निर्जरा होने पर स्वभाव से जो सम्यक्त्व हो जाता है वह निसर्ग रुचि कहलाता है ।
(२) उपदेश रुचि-तीर्थकर भगवान् का अन्य मुनिराज श्रादि का उपदेश श्रवण करने से होने वाला सम्यक्त्व उपदेश रुचि है। - (३) प्राज्ञारुचि-अर्हन्त भगवान की परम कल्याण कारिणी, समस्त संकटों का अन्त करने वाली श्राशा को श्राराधन करने से होने वाला सम्यक्त्व प्राज्ञारुचि है. अथवा भगवान् की आज्ञा को विशेष रूप से श्राराधन करने की, तदनुकूल व्यवहार । करने की रुचि होना भाजा-रुचि है।
(४) सुत्ररुचि-द्वादशांग रूप श्रुत का अभ्यास करने से होने वाली रुचि सूत्र रुचि है। अथवा द्वादशांगी का पठन-पाठन, चिन्तन-मनन करते हुए, ज्ञान के परम रस-सरोवर में श्रात्मा को निमग्न करने की रुचि सूत्र रुचि कहलाती है।
(५) वीजरुचि-जैसे छोटे से बीज से विशालकाय वटवृक्ष उत्पन्न हो जाता है, श्रथवा पानी में डाला हुआ तैल-बिन्दु खूब फैल जाता है, उसी प्रकार एक पद भी जिसे अनेक पद रूप परिणत हो जाता है अर्थात् थोड़े का बहुत रूप परिणमन होना चीज रुचि है। ... (६) अभिगम रुचि-अंगोपांगों के अर्थ रूप ज्ञान की विशेष शुद्धि होने से तथा ज्ञान का दूसरों को अभ्यास कराने से होने वाली रुचि अभिगम रुचि कहलाती है।
(७) विस्तार रुचि-पद्रव्य, नवतत्व, प्रमाण, नय, निक्षेप, द्रव्यगुण, पर्याय