Book Title: Nirgrantha Pravachan
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Jainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam

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Page 777
________________ निर्ग्रन्थ प्रवचन पर सम्मतियां _ [७१५ ] दिया है जिससे असली जबान का समझाना निहायत आसान हो जाता है। लाजी तशरीह और खुलासा बयान किताब की खूबी को और चार चांद लगा देता है । मैं पण्डितजी महाराज और इस किताब के शाय करने वाले को मुबारिक बाद देता हूँ। (३१) . पं० गिरधारीलालजी नवरत्न झालरा पाटन से ता० २ अगस्त के पत्र में। निर्ग्रन्थ प्रवचन सुन्दर और उपादेय पुस्तक है । हिन्दी भाषा भाषी इस . का उचित सत्कार करेगे ऐसी आशा है। . (३२) श्रीमान् डाक्टर पी० एल० वैद्य एम० ए० ( कलकत्ता ) डी. लिट् (पेरिस ) प्रोफेसर संस्कृत और प्राकृत, वाडिया कालेज, पूना । निर्ग्रन्थ प्रवचन इसी तरह जैनियों के धर्म शास्त्रों के उपदेश का सार है । मैं चाहता हूं कि हर एक जैन यह नियम करले कि उस का कम से कम एक अध्याय रोज पढ़े और मनन करे । (३३) महामहोपध्याय डा० गंगानाथ झा, एम० ए० . डी० लिट् व्हाइस चान्सलर,. _इलाहबाद युनिवर्सिटी । यह तमाम जैन विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी प्रमाणित होगी। (३४) प्रोफेसर केशवलाल हिम्मतराम एम० ए०, बडोदा, कालेज। . . जैन शास्त्रों में संग्रह कर ऐहिक और पारलौकिक ज्ञान का सार बहुत ही स्पष्ट और विद्वत्ता के साथ संग्रह किया गया है। ... __ . + धर्म के प्रति श्रद्धा रखने वाले सभी को इसे पढ़ने के लिए मैं अनुरोध

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