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निर्ग्रन्थ प्रवचन पर सम्मतियां
[ ७१३ ]
( २१ )
श्रीमान् प्रो० बूलचन्दजी एम० ए० इतिहास और राजनीति के प्रोफेसर, हिन्दू कालेज, दिल्ली ।
आपने इस पुस्तक के प्रकाशन द्वारा एक बड़ी आवश्यकता की पूर्ति की है । ( २२ )
श्रीमान् रामस्वरूपजी एम० ए० शास्त्री संस्कृत के प्रो. मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ा
यह पुस्तक पाली और प्राकृत भाषाओं की कक्षाओं के लिए पाठ्य ग्रन्थों में रखने योग्य है ।
( २३ )
बाबूराम सकसेवा एम. ए. डी. लिट संस्कृत, पाली और प्राकृत के प्रोफेसर इलहाबाद यूनिवर्सिटी |
चुनाव बहुत उत्तमता से हुआ है ।
( २४ )
प्रोफेसर ए. एन. उपाध्याय एम. ए. राजराम कालेज, कोल्हापुर 1. यह जैन धर्म का अच्छा चुनाव है । यह किताब जैन धर्म की जानकारी के लिए | और इस धर्म ( ग्रन्थ ) के ज्यादा अभ्यास के लिए अच्छी होगी । ( २५ )
मोहनलाल एम. ए. एफ. टी एस. इलाज करने वाली लीग के मेम्बर, स्कूल के भूतपूर्व इन्सपेक्टर और इतिहास के प्रो. कोटा कालेज ।
मैंने सारी किताब सावधानी से देखी है और उस को मैने निर्णयाताक उसकी बराबरी वाली किताबों में से ज्यादा अच्छी पाई । गृहस्थी जो कि धर्म की मूल वस्तुओं पर सिर्फ एक ही साधारण किताब रखना चाहता है उस को इस अमूल्य पुस्तक की एक प्रति खरीदनी चाहिये यह हर एक घर और लायब्रेरी में रखी जाना चाहिये ।
( २६ )
मणीलाल एच. उदानी एम. ए. एल. एल. बी. एडवोकेट, राजकोट