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निर्ग्रन्थ प्रवचन पर सम्मतियां
(४७) मुनि श्री सुमतिविजयजी, गुजरानवाला ( पंजाब ) . आएकी मेहनत प्रशंसनीय है। . .
., (४८) जैनाचार्य पूज्य श्री अमोलक ऋषिजी महाराज, शास्त्र प्रेमी और व्याख्यान दाताओं को तो अवश्य पढ़ने योग्य है ।
(४६) कविवर्य पण्डित मुनि श्री नानचन्द्रजी महाराज, उत्तम रत्नों चूंटी काढ़ी जिज्ञासु वर्ग उपर भारे उपकार कर्यों छे एकंदर चूटणी बहु सुन्दर छ।
(५०). शतावधानी पं० मुनि श्री सौभाग्यचन्द्रजी महाराज, प्रस्तुत ग्रन्थ ना संग्राहकने वाचक वर्गे अवश्य आभार मानयो घटे छ।
(५१) योगनिष्ट पं० मुनि श्री त्रिलोकचन्द्रजी महाराज,
आवकारदायक छ हुं अने सत्कारूं छु अावा ' प्रवचनों" एकज भाग . थी अटकी न रहे थे खास सूचq छं।
. (५२) उपाध्याय मुनि श्री आत्मारामजी महाराज, - मुमुनु जनों को अवश्य पठनीय है ।
(५३) वक्ता श्रीमान् सौभाग्यमलजी महाराज, जो प्राकृत का ज्ञान नहीं रखते हैं उन जीवों के लिये भारी उपकार किया है।
(५४) "जैन महिलादर्श' सूरत वर्ष १२ अङ्क ८ में लिखता है किपुस्तक में गाथा सरल अच्छे हैं । मनन करने योग्य है।