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निर्ग्रन्थ प्रवचन पर सम्मतियां
क्रम में नियत किया गया है ।
( ४१ )
श्री परमानंदजी बी० ए०, गुरुकुल विद्यालय सोनगढ़ |
साहित्य में ऐसी ही ग्रन्थों की महती आवश्यकता है । आपने साधारण को ऐसे सुअवसर से लाभ उठाने का अवसर देकर प्रशंसनीय एवं स्पृहणीय कार्य किया है ।
( ४२ )
श्री पं० भगवतीलालजी 'विद्याभूषण' राजकीय पुस्तक प्रकाशकाध्यक्ष, जोधपुर ।
यह पुस्तक हरेक धार्मिक पुरुष अपने पास रखें और मनन करके आत्म लाभ उठावें इस में पूर्व धर्म का सार दिया गया है । "
( ४३ )
श्रीमान् सूरजभानुजी वकील शाहपुर तहसील बुरहानपुर जि० नीमाड़ ( बरार )
जैनियों को प्रारम्भ में यह पुस्तक जरुर पढ़नी चाहिये ।
( ४४ ) श्रीयुतकीर्तिप्रसादजी जैन वी० ए० एल० एल० बी० वकील हाईकोर्ट, विनोली ( मेरठ ) ।
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सब धर्म प्रेमी बन्धु और खास कर जैन भाई व बहन इस पुस्तक से पूरा लाभ उठायेंगे |
( ४५ )
श्रीमान् भूपेन्द्रसूरिजी महाराज, भीनमाल ।
आप का साशय-पूर्ण उद्योग सफल है । जैन संघ में प्रत्युपयोगी है ।
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( ४६ )
प्रवर्तक श्रीमान् कान्तिविजयजी महाराज, पाटण | संग्राहक - महात्माजी नो परिश्रम सारो थयो छे ।