Book Title: Nirgrantha Pravachan
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Jainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam

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Page 783
________________ निर्ग्रन्थ प्रवचन पर सम्मातियां • (६८) कलकत्ते से प्रकाशित 'विश्वमित्र' अप्रेल सन् १९३४ के पृष्ट ११३५ पर लिखता है किजैन धर्म के प्रवर्तक महात्मा महावीर के प्रवचनों का सानुवाद संग्रह किया गया है | अनुवाद की भाषा सरल है । . (६६). . स्थानकवासी जैन ता० १२-९-३५ को अहमदाबाद से लिखता है किप्रसिद्ध वक्ता पं० मुनि श्री चौथमलजी म. ने जैनागमों मा आवेला भगवान महावीर प्रणित पदों माथी खूब २ उपयोगी पदोंनी चुंटणी करी प्रस्तुत पुस्तकमा मूंकी छे । आध्यात्मिक उन्नतिना इच्छुकों ने अने धर्म प्रेमी ने खांस वांचवा लायक छ । जनता एकी साथे बधा सूत्रों न बाची सके, तेमज सूत्र रूची पण दरेकने न हुई सके तेथी मुनि श्री नो श्रा प्रयास अति आदरणीय छ । एकन्दर श्लोकोनी पसंदगी अति सुन्दर छे। आपणे आवा पुस्तक ने आध्यात्मिक गीता कहिये तो खोटु कहेवाव से नहीं। (७०) जयाजी प्रताप ग्वालियर से ता० २८-११-३५ को लिखते हैं किआत्मा क्या है, आत्माओं की विभिन्नता का क्या कारण है आत्मा के अतिरिक्त परमात्मा कोई भिन्न है या नहीं इत्यादि प्रश्नों का सरल सुस्पष्ट और सन्तोषप्रद समाधान हमें निग्रन्थ प्रवचन में मिलता है इस से सभी जैन अजैन नर नारी एकसा फायदा उठा सकते हैं । पुस्तक सभी आध्यात्म प्रेमियों को अवश्य पढ़ना चाहिये। .

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