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• निर्ग्रन्थ प्रवचन पर सम्मतियां
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(७१) "जैन गजट" मणीपुर से अक्टोंम्बर सन् १९३५ में
. लिखते हैं कि- . क्या जैनियों के पास भी गीता के ऐसी कोई पुस्तक है लोग अक्सर ऐसा पूछते हैं निर्ग्रन्थ प्रवचन पुस्तक इसी प्रश्न का उत्तर है । गीता की तरह ही यह अठारह अध्यायों में विभक्त है । प्रत्येक अध्याय की विषय सामग्री भी। गीता की विषय सामग्री के बहुत कुछ अनुरूप ही है।