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अठारहवां अध्याय
[ ६६७ ] वरण कर्म का भी क्षय होता है, और उसके क्षय होने से अनन्त केवलदर्शन का
आविर्भाव हो जाता है । इस प्रकार केवलज्ञान और केवलदर्शन प्रकट हो जाने पर जीव संसार के समस्त पदार्थों को युगपत् साक्षात् जानने-देखने लगता है। इन्हीं के साथ अन्तराय कर्म का भी क्षय होता है और इससे अनन्तवीर्य-शक्ति का प्रादुर्भाव हो जाता है। इन घातिक कर्मों से अन्तर्मुहूर्त पहले मोहनीयकर्म का क्षय होने से वीतराग संजा प्राप्त हो जाती है। इस प्रकार चार घातिक कर्मों का क्षय होते ही चीतराग जीव अनन्त चतुष्टय प्राप्त कर लेते हैं।
वीतराग दशा में जीव अनानव हो जाता है। यहां अनास्रव से साम्परायिक अर्थात कषायों के निमित्त से होने वाले प्रास्त्रव का अभाव समझना चाहिए । योग . निमित्तक र्यापथिक शास्त्रब तेरहवें गुणस्थान में भी विद्यमान रहता है। किन्तु उस . समय आने वाले कर्मों की न तो स्थिति होती है और न अनुभाग ही होता है। कर्मों की स्थिति और अनुभाग कषाय पर अवलंवित है और वीतराग अवस्था में कषायों का संदभाव नहीं रहता । उस समय कर्म आते हैं और चले जाते हैं-श्रात्मा में बद्ध होकर ठहरते नहीं हैं।
श्रात्मा सर्वोत्कृष्ट शुक्लध्यान रूप समाधि में तल्लीन रहती है और शैलेशीकरण करके श्रायु कर्म का अन्त करके, सर्वथा निष्कर्म, निर्विकार, निरंजन, निर्लेप, निष्काम, निरावरण और नीराग होकर मुक्ति प्राप्त करता है।
आयु कर्म का क्षय यहां उपलक्षण है । उसले नामकर्म, गोत्रकर्म और वेदनीयकर्म का भी ग्रहण करना चाहिए । यह चार अघातिक कर्म कहलाते हैं। इन सब का एक ही साथ क्षय होता है अतएव श्रायुकर्म के क्षय के कथन से ही इनके क्षय का भी कथन हो जाता है।
मुक्त-अवस्था ही जीव की शुद्ध-अवस्था है। जब तक जीव के प्रदेशों के साथ अन्य द्रव्य (पुद्गल ) का संस्पर्श है तब तक वह अशुद्ध है। सब प्रकार के बाह्य संस्पर्श से हीन होने पर वह शुद्ध होता है। मूलः-सुक्कमूले जहा रुक्खे, सिच्चमाणे न रोहति ।
एवं कम्मा ण रोहति, मोहणिज्जे खयं गए ॥२३॥ छायाः-शुष्कमूलो यथा वृक्षः, सिञ्चमानो न रोहति । . .
एवं कर्माणि न रोहन्ति, मोहनीये क्षयं गते ॥ २३ ॥ शब्दार्थः-जिसकी जड़ सूख गई है वह वृक्ष सींचने पर भी हरा-भरा नहीं होता। इसी प्रकार मोहनीय कर्म के क्षीण हो जाने पर कर्मों की उत्पत्ति नहीं होती-कर्मबंध । नहीं होता।
___ भाष्यः- पूर्व गाथा में मोक्ष-प्राप्ति का वर्णन करने के पश्चात् प्रकृत गाथा में मोक्ष की शाश्वतिकता का उदाहरणपूर्वक निरूपण किया गया है।