Book Title: Nirgrantha Pravachan
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Jainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam

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Page 772
________________ ७ि१०] निर्ग्रन्थ प्रवचन पर सम्मतियां - - श्रीयुत् वी० वी० मिराशी, प्रोफेसर संस्कृत विभाग, मोरिस कालेज, ( नागपुर ) यह पुस्तिका जैन साहित्य की धार्मिक और दार्शनिक सर्वोत्तम गाथाओं का संग्रह है। श्रीमान् गोपाल केशव गर्दै एम० ए० भूतपूर्व प्रो० ( नागपुर) इसी प्रकार से सात आठ अर्द्धमागधी के.ग्रन्थ छपवाए जाय तो इस भाषा ( प्राकृत ) का भी परिचय सरल संस्कृत की नाई बहुजन समुदाय को अवश्य हो जायगा। - श्रीमान् प्रो० हीरालालजी जैन एम० ए० एल० एल० बी० किङ्ग एडवर्ड कालेज, अमरावती ( बरार) । " इस पुस्तक का अवलोकन कर मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई। पुस्तक प्रायः शुद्धता पूर्वक छपी है । और चित्ताकर्षक है । "..."""साहित्य और इतिहास प्रेमियों को इस से बड़ी सुविधा और सहायता मिलेगी।" श्रीमान् महामहोपाध्याय रायबहादुर पं. गौरीशंकर हीराचंदजी अोझा, अजमेर. यह पुस्तक केवल जैनों के लिए ही नहीं किन्तु जैनेतर गृहस्थों के लिए . भी परमोपयोगी है। (8) श्रीमान् ला० बनारसीदासजी एम० ए० पी० एच०डी० ___ओरियन्टल कालेज, लाहौर. स्वामी चौथमलजी महाराज ने निर्ग्रन्थ प्रवचन रच कर न केवल जैन समाज पर किन्तु समस्त हिन्दी संसार पर उपकार किया है । ऐसे ग्रन्थ की अत्यन्त आवश्यकता थी।

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