Book Title: Nirgrantha Pravachan
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Jainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam

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Page 771
________________ निग्रंथ प्रवचन प्रमुख विद्वानों की सम्मतियाँ (१) श्रीमान् ला० कन्नोमलजी एम० ए० सेशन जज़ धौलपुर। . ग्रन्थ बड़े महत्व का है । साधु तथा गृहस्थ दोनों के काम की चीज़ है। इसका स्थान सभी के घरों में होना चाहिए । विशेषतः पाठशालाओं के पाठ्यक्रम में इसका प्रवेश अत्यन्त आवश्यक है। (२) श्रीयुत पं० रामप्रतापजी शास्त्री, भू० पू० प्रोफेसर, पाली संस्कृत मोरिस कालेज, नागपुर ( सी. पी.) इसके द्वारा जैन साहित्य में एक मूल्यवान संकलन हुआ है । यह केवल जैन दर्शन के इच्छुक विद्वानों को ही नहीं बल्कि जैन साहित्य में रुचि रखने चाले सभी सज्जनों के लिए अति उपयोगी वस्तु है। श्रीमान् प्रो० सरस्वती प्रसादजी चतुर्वेदी एम० ए० व्याकरणाचार्य, काव्यतीर्थ मोरिस कालेज नागपुर ( सी० पी० ) इर्व ग्रन्थ रत्न की मूक्लियों का मनन समस्त मानवसमाज के लिए हितकर है । क्योंकि ये सूक्तियां किसी एक मत या सम्प्रदाय विशेष की ल . होकर विश्वजनीन हैं। श्रीमान् प्रो० श्यामसुन्दरलालजी चौराडिया एम० ए: - मोरिसं कालेज । नागपुर ) श्री मुनि महाराजजी का किया हुआ अनुबाद अत्यंत सरल, स्पष्ट और . प्रभावोत्पादक है।"

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