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भाषा-स्वरूप वर्णन भाषा अव्याकृता कहलाती है, क्योंकि उसका प्रकट अर्थ समझ में नहीं आता। बालकों की अस्पष्ट भाषा भी अव्याकृता में सम्मिलित है।
... इस प्रकार द्रव्याश्रित भाषा के चार प्रकारों का तथा उनके भेद-प्रभेदों का कथन संक्षेप में यहाँ किया गया है।
समस्त देव, नारकी और मनुष्य चारों प्रकार की भाषा का प्रयोग करते हैं। द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों की भाषा असंत्यामृपा होती है, क्योंकि वे सम्यग्ज्ञानी न होने के कारण सत्य भाषा का प्रयोग नहीं कर सकते और दूसरों को ठगने का अभिप्राय न होने के कारण असत्य भाषा भी नहीं दोल सकते।
शिक्षा और लब्धि (जातिस्मरण आदि ) से रहित पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चों की भी भाषा असत्यामृपा होती है शिक्षा और लब्धि वाले पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च यथासंभव चारों भाषाओं का प्रयोग करते हैं।
(२) अताश्रित आव भाषा-श्रुत विषयक भाव भाषा तीन प्रकार की है-सत्य असत्य और शासत्यामृपा । सम्यग्दृष्टि तथा सम्यक् उपयोग वाले पुरुष की भाषा सत्य भाव भाषा कहलाती है। जब सम्यग्दृष्टि विना उपयोग बोलता है तय . उसकी असत्य भाव भापा होती है । अथवा सत्य परिणाम रहित मिथ्यादृष्टि की उपयोग सहित या उपयोग रहित समस्त भाषा श्रुतविषयक असत्य भाव-भाषा है। अवधि, मनःपर्याय और केवल शान में उपयोग वाला श्रुत के विषय में जो भ.पा का प्रयोग करता है वह असत्यामृपा भापा कहलाती है, क्योकि शुतमें प्रायः असत्यामृषा भाषा होती है।
(३) चारित्राश्रित भाव-भाषा-चारित्र की विशुद्धि करने वाली अर्थात् जिस भाषा का प्रयोग करने से चारित्र की शुद्धि हो वह चारित्राश्रित भाव सत्य भाषा है। इससे विपरीत, चारित्र की अविशुद्धि करने वाली भाषा चारित्राश्रित असत्य भाषा समझनी चाहिए । इसी प्रकार चारित्र रुप परिणाम को स्थिर बनाने वाली असंक्लेश जनक भाषा भी सत्य भाव भापा है और चारित्र का प्रभाव करने वाली भाव असत्य भाषा है। कहाभी है:
भासा कुश्रो व पभवति, सतिहि व समयेहि भासती भासं। भासा कतिप्पगारा, कति वा भासा अणुमया उ ? ॥ सरीरप्प भवा भासा, दोहि व समयेहि भासती भासं। ,
भासा चउप्पगारा, दारिण य भासा अणुमया उ॥ . .. अर्थात-भापा कहां से उत्पन्न होती है ? कितने समयों में भाषा बोली जाती है ? भाषा के कितने प्रकार हैं ? और कितने प्रकार की भाषा बोलने योग्य है ?
इन प्रश्नों का समाधान करते हुए कहा गया है--भापा शरीर से उत्पन्न होती है अर्थात् काय योग से भाषा के योग्य पुद्गलों का ग्रहण किया जाता है और वचन