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सत्तर हवा अध्याय मध्यमाधस्तन अर्थात् मध्य के त्रिक नीचे वाला, (५) मध्यममध्यम अर्थात् मध्य के त्रिक में बीच वाला, (६) मध्यमोपरितन अर्थात् मध्य के त्रिक में ऊपर वाला, (७) उपरितनाधस्तन-ऊपर के त्रिक में नीचे बाला, (८) उपरितनमध्यम-ऊपर के त्रिक में बीच का, और (8) उपरितनोपरितन-अर्थात् ऊपर के त्रिक में ऊपर वाला । यह नव अवयक हैं। ___ पांच अनुत्तर देवों के आश्रय स्थान की अपेक्षा पोच भेद इस प्रकार हैं--(१) विजय (२) वैजवन्त (३) जयन्त (४) अपराजित और (५) सर्वार्थसिद्ध । इस प्रकार वैमानिक देव अनेक प्रकार के हैं।
भाष्यः-नव अवेयक विमानों के अवस्थान के कम से यहाँ त्रैवेयकों का उल्लेख किया गया है। अतएव पूर्वोक्त नामों के साथ इन नामों का विरोध नहीं समझना चाहिए । तात्पर्य यह है कि अधस्तनाधस्तन अवेयक का नाम 'भद्र' है, अधस्तनमध्यम का नाम 'सुभद्र', और अधस्तनोपरितन 41 नाम 'सुजात' है । इसी प्रकार शेष छह अवेयको के नाम अनुक्रम से समझ लेने चाहिए ।
अनुत्तर विमानों के ( १ ) विजय ( २ ) चैजयन्त ( ३ ) जयन्त (४) अपराजित और ( ५ । सर्वार्थसिद्ध, यह पांचभेद है।
__ कल्पातीत देवों में इन्द्र, सामानिक आदि का कोई अन्तर नहीं है । न कोई बड़ा देव है, न कोई छोटा है । सब देव समान ऋद्धिधारी हैं । अतएव यह सब 'अहमिन्द्र' कहलाते हैं। यह देव कौतूहल से रहित, विषयवासनाओं ले विरक्त और सदैव ज्ञान-ध्यान में लीन रहते हैं।
देवों का श्रायु मनुप्यों की अपेक्षा बहुत अधिक होता है । वह इस प्रकार है:
भवनवासी-असुरकुमार- उत्कृष्ट एक पल्योपम से कुछ अधिक, जघन्य दस हजार वर्ष का, और नागकुमार श्रादि शेष नव का उत्कृष्ट श्रायुष्य डेढ़ पल्योपम का तथा जघन्य दस हजार वर्ष का।
व्यन्तर देव-समस्त व्यन्तरों एवं वाणव्यन्तरी की आयु उत्कृष्ट एक पल्योपम और जघन्य दस हजार वर्ष की होती है।
__ ज्योतिषी देव-तारा देव की प्रायु जघन्य पाय पल्योपम, और उत्कृष्ट पाद एल्योपम से कुछ अधिक है। सूर्य विमान में रहने वाले देवों की श्रायुज. पाय पल्योपम और उत्कृष्ट एक पल्यापम तथा एक हजार वर्ष की है। चन्द्र विमानवासी देयों की जघन्य पाय पल्यापम और उत्कृष्ट एक पल्योपम पवं एक लाख वर्ष की आयु है। नक्षत्र विमान के देवों का जघन्य पाव पल्योएम और उत्कृष्ट आधे बल्योपम की आयु हैं। नह विमानों में रहने वाले देवों का 'आयुष्य जघन्य पाच पल्यापम या और उत्कृष्ट एक पल्यापम का है। बुध, शुक्र, मंगल और शनि ग्रहों में रहने वाले देवों की भी प्रायु इतनी ही है।