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भाषा-स्वरूप वन
शब्द भी पौद्गतिक मानना चाहिए । धूप, गंध और रज कण आदि की भांति शब्द सूक्ष्म पुल रूप होने के कारण वह अन्य पदार्थों के प्रेरित नहीं करता | व उसकी पुद्गल रूपता में कोई बाधा नहीं है ।
(५) शब्द श्राकाश का गुण है, यह कथन सर्वथा निर्मूल है। शब्द आकाश का गुण नहीं है, किन्तु पुल द्रव्य की पर्याय है श्रतएव उसकी पौगलिकता में कोई भी बाधा उपस्थित नहीं होती । शब्द यदि श्राकाश का गुण होता तो उसका हमें प्रत्यक्ष नहीं हो सकता था । क्योंकि हमें श्राकाश का प्रत्यक्ष नहीं होता इसलिए उसके गुण शब्द का भी प्रत्यक्ष होना संभव नहीं था । शब्द श्रोत्र इन्द्रिय द्वारा प्रत्यक्ष होता है, इसलिए वह आकाश का गुण नहीं हो सकता ।
शब्द की पौगलिकता इस अनुमान से सिद्ध होती है-शब्द पौलिक है, क्यों कि वह इन्द्रिय का विषय है, जो जो पदार्थ इन्द्रिय का विषय होता है, वह वह पौनलिक होता है, जैसे घट, पट आदि अन्य अनेक पदार्थ । शब्द श्रोत्र- इन्द्रिय का विषय है, अतएव वद पौद्गलिक है ।
उल्लिखित कथन से भली भांति प्रकट है कि शब्द पुद्गल रूप ही है । इस पुद्गल रूप शब्द में स्वाभाविक शक्ति ऐसी है, जिससे वह पदार्थों का बौद्ध कराता हूँ । जसे सूर्य अपनी स्वाभाविक सामर्थ्य से पदार्थों को आलोकित करता है, उसी प्रकार शब्द अपनी स्वाभाविक शक्ति से पदार्थों का बोध कराता है । प्रत्येक शब्द में, प्रत्येक पदार्थ का बोध कराने की शक्ति विद्यमान है । 'घट' शब्द | जैसे स्वभावतः घड़े का वोधक है उसी प्रकार वह वस्त्र, श्रादि अन्य पदार्थों का भी वोधक है । किन्तु मनुष्य समाज ने भिन्न-भिन्न संकेतों की कल्पना करके उसकी वाचक-शक्ति केन्द्रित करदी
। श्रतएव जिस देश में, जिस काल में, जिस पदार्थ के लिए, जो शब्द नियत कर दिया गया है, वह उसी नियत पदार्थ का वाचक वन जाता है ।
संकेतों की नियतता के बिना मनुष्य-समाज का लोक-व्यवहार ही नहीं चल सकता । यदि कोई भी एक शब्द समस्त पदार्थों का वाचक मान लिया जाता तो, किसी एक विशेष पदार्थ को शब्द द्वारा बतलाना असंभव हो जाता । उदाहरण के लिए 'गो' शब्द लीजिए । गो का अर्थ यदि संसार के सभी पदार्थ मान लिए जाएँ तो, जब कोई किसी को 'गो' लाने का आदेश देगा तो सुनने वाला पुस्तक, कागज़, घोड़ा, कपड़ा आदि कोई भी पदार्थ ले प्रायगा, क्योंकि 'गो' का अर्थ सभी पदार्थ हैं । इस गड़बड़ से बचने के लिए शब्द की व्यापक वाचक-शक्ति को किसी एक पदार्थ तक ही सीमित करना श्रावश्यक है ।
शंका- जब कि शब्द संकेत के अनुसार एक नियत पदार्थ का ही वाचक होता है तब उसमें समस्त पदार्थों के वाचक होने की शक्ति कैसे मानी जा सकती है ?
समाधान - संकेत पुरुषों की इच्छा के अधीन हैं। आज एक शब्द का जिस पदार्थ के लिए संकेत किया जाता है, कल उसी शब्द का दूसरे पदार्थ के लिए भी संकेत किया जा सकता है । इस प्रकार एक ही शब्द, विभिन्न कालों में, विभिन्न