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चोवीस दण्डक ।
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ग्रह (देव) की स्थिति ज, पाव पल्य की उ, एक पल्य की। देवी की ज.पाव पल्य की उत्कृष्ट अर्ध पन्य की।
नक्षत्र की स्थिति ज. पाव पल्प की उ. अर्ध पल्य की। देवी की ज. पाव पल्य की उ. पाव पल्य जाजरी ।
तारा की स्थिति ज. पल्य के आठवें भाग उ. पाव पल्य की। देवी की ज. पल्य के आठवें भाग उ. पल्य के आठवें भाग जाजरी।
पहले देवलोक के देव की ज. एक पल्य की उ. दो सागर की। देवी की ज. एक पल्प की उ. सात पल्य की। अपरिगृहिता देवी की ज. एक पल्य की उ. ५० पल्य की।
दूसरे देवलोक के देव की ज. एक पल्य जाजेरी उ. दो सागर जाजेरी, देवी की ज. एक पल्य जाजेरी उ. नव पल्य की । अपरिगृहिता देवी की ज, एक पल्य जाजरी उ. पंचावन पल्य की। तीसरे देवलोक के देव की ज.२ सागर की उ.७ सागर चौथे " " " " "२ "जाजेरी" ७" जा. पांचवें " "" ""७" की "१०" की छ " "" " १० "" ॥१४॥" सातवें "."" १४ ॥ " "१७" " आठवें " " " ॥ १७ ॥ " ॥१८॥"
" " " १८"" "१६"" दश " "" "१8 " ॥२० ॥
नवें
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