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( २६८)
थोकडा संग्रह।
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पाहारिक शरीर के पुद्गल सूक्ष्म इस से तैजस शरीर के पुगल सूक्ष्म व इस से कार्मण शरीर के पुद्गल सूक्ष्म ।
१२ अवगाहना का अल्प बहुत्व द्वार । . सब से जघन्य औदारिक शरीर की जघन्य अवगाहना इस से तैजस् कार्मण की जघन्य अवगाहना परस्पर बरावर व औदारिक से विशेष वैक्रिय की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुणी इस से पाहारिक की जघन्य अवगाहना असंख्यात गुणी इस से आहारिक की उत्कृष्ट अवगाहना विशेष इससे औदारिक की उत्कृष्ट अवगाहना संख्यात गुणी इस से वैक्रिय की उत्कृष्ट अवगाहना संख्यात गुणी इस से तैजस् कार्मण उत्कृष्ट अवगाहना परस्पर बराबर व वैक्रिय से असंख्यात गुणी अधि ।
__ १३ प्रयोजन द्वार। १ औदारिक शरीर का प्रयोजन मोक्ष प्राप्ति में सहायी भूत होना २ वैक्रिय शरीर का प्रयोजन विविध रूप बनाना ३ चाहारिक शरीर का प्रयोजन संशय निवा. रण करना ४ तैजस शरीर का प्रयोजन पुद्गलों का पाचन करना ५ कार्मण शरीर का प्रयोजन आहार तथा काँ को आकर्षण ( खेचना) करना ।
१४ विषय (शक्ति) द्वार । औदारिक शरीर का विषय पन्द्रहवा रुचक नामक
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