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थोकडा संग्रह।
कित रुपी थाल (५) धर्म रुपी माल तथा समकित रुपी दुकान (६)धर्म रुपी रन तथा समकित रुसी मंजूषा संदुक या तिजोरी।
१२ भावना के ६ भेद:-(१) जीव चैतन्य लक्षण युक्त असंख्यात प्रदेशी निष्कलङ्कप्रमूर्ति है । (२) अनादि काल से जीव और कमाँ का संयोग है जैसे-दूध में घी, तिल में तेल, धूल में धातु, फूल में सुगन्ध, चन्द्र की कान्ति में अमृत आदि के समान अनादि संयोग है ।(३) जीव सुख दुख का कर्ता और भोक्ता है, निश्चय नय से कर्म का कर्ता कम है परन्तु व्यवहार नय से जीवं है । (४) जीव, द्रव्य, गुण पर्याय, प्राण और गुण स्थानक सहित है ( ५ ) भव्य जीवों को मोक्ष होता है (६) ज्ञान दर्शन और चारित्र ये मोक्ष के साधन हैं । एवं ६ भेद ।
इस थोकड़े को मुंह जबानी ( कंठस्थ ) करके सोचो कि इन ६७ बोलो में से ( व्यवहार समकित के) मेरे अन्दर कितने बोल हैं। फिर जितने बोल कम होये उन्हें पूरे करने का प्रयत्न करे तथा पुरुषार्थ द्वारा उन्हें प्राप्त करे। ॥ इति व्यवहार समकित के ६७ बोल सम्पूर्ण ।।
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