________________
( ५३०)
थोकडा संग्रह ।
(चूल हेमवन्त, महा हेमवन्त, निषिध, नीलवन्त, रूपी और शिखरी ) पर्वत हैं।
४ गज इंता पर्वत-देव कुरु उत्तर कुरु और विजय के बीच में आये हुवे हैं । नाम-गंधमर्दन, मालवंत, विद्युत्प्रभा और सुमानस ।
४ वृतल वैताट्य -हेमवाय, हिरण वाय, हरिवास, रम्यक्वास के मध्य में है । नाम-सदावाई, वयड़ावाई गन्धावाई, मालवंता।
४ चित विचितादि निषिध पर्वत के पास सीता नदी के दोनों तट पर चित और विचित पर्वत हैं । तथा नीलवंत के पास सीतोदा के दो तट पर जमग और समग दो पर्वत हैं। १ जम्बू द्वीप के बराबर मध्य में भेरू पर्वत है।
पर्वत के नाम ऊचाई गहराई विस्तार २०० कंचन गिरि पर्वत १०० यो. २५ यो. १०० यो. ३४ दीघ वैताढ्य " २५ यो, २५ गाउ ५० यो. १६ वक्षार " ५०० यो.५०० गाउ ५०० यो.
यो, कला चूल हेमवंत और शिखरी १०० यो. २५ यो. १०५२-१२ महा हेमवंत और रूपी २०० यो.५० यो. ४२१०.१० निषिध और नीलवंत ४०० यो.१०० यो. १६८४२-२ ४ गजदंता पर्वत ५०० यो. १२५ यो. ३०२०६६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org