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भवनपति विस्तार ।
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(१) उत्पात सभा ( देव उत्पन्न होने के स्थान ), (२) अभिषेक सभा ( इन्द्र के राज्याभिषे . का स्थान) (३) अलंकार सभ' ( देवों के वस्त्र भूषण-अलंकार सजने के स्थान ) ( ४ ) व्यवाय सभा ( देवयोग्य धर्म नीति की पुस्तकों का स्थान ) और (५) सौधर्मी सभा ( न्यायइन्साफ करने का स्थान)
५ भवन संख्या -कुल भवन ७७२००००० है जिन में ४ क्रोड ६ लाख भवन दक्षिण में और ३ कोड़ ६६ लाख भवन उत्तर दिशा में हैं विस्तार यन्त्र से समझना।
६ वर्ण, ७ वस्त्र चिन्ह ६ इन्द्र द्वार-यन्त्र से जानना
भवन
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वस्त्र ।
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इन्द्र दो २ नाम वर्ण चिन्ह
वर्ण
उतर के दक्षिण के EE असुरकुमार ३० ३४काला रक चूडामणि बलेन्द्र चमरेन्द्र नाग " ४० ४४ श्वेत नीला नागफण भूतन्द्र धरणेन्द्र सुवर्ण" ३४ ३-सुवर्ण श्वेत गरुड़ वेणुदाली वेणु देव विद्युत " ३६ ४० रक्त नीला वज्र हरिसिंह हरिकन्त
४० " " कलश अग्नि मानव अग्निसिंह द्वाप " ३६ ४० " " सिंह विशेष्ट पूर्ण दिशा " ३६ ४०पांडर " अश्व जल प्रभ जलकन्त उदधि " ३६ ४०सुवर्ण श्वेत गज अमृत वाहन अमृत गति पवन " ४६ ५०श्यामपं.वर्ण मगर प्रभंजन वेलव स्तनित" ३६ ४० सुवर्ण श्वेत वर्धमान महाघोष घोष
श्रांग्न
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