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वैमानिक देव ।
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६ श्री. २२००,
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५ अनु०२१०७,१
६ विमान विस्तार - कितने ही विमानों का विस्तार ( चार भाग का) असं० योजन का और कितने ही का ( एक भाग का संख्यात योजन के विस्तार का है परन्तु सर्वार्थ सिद्ध विमान १ लाख यो० के विस्तार में है ।
१० इन्द्र द्वार - १२ देवलोक के १० इन्द्र हैं आगे सर्व हमेन्द्र हैं ।
११ विमान द्वार - तीर्थकरों के कल्याण के समय मृत्युलोक में वैमानिक देव जो विमान में बैठकर आते हैं उनके नाम - पालक, पुष्प, सुमानस, श्रीवत्स, नन्दी वर्तन, कामगमनाम, मनोगम, प्रियंगम, त्रिमल, सर्वतोभद्र ।
१२ चिह्न १३ सामानिक २४ लोकपाल १५ त्रयस्त्रिंश १६ आत्म रक्षक -
इन्द्र
चिन्ह सामानिक लोक त्रयस्त्रिंश श्रात्म रजक पाल
८४ हजार ४ ३३ ३३६०००
Το
४
३३ ३२००००
७२
ઢ
३३
२८८०००
शकेन्द्र ईशानेन्द्र
सनत्कु० इन्द्र
महेन्द्र ब्रह्मेन्द्र
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मृग
महिष
६००
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शूकर
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अज ( बकरा ) ६०
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( ६७३ )
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३३ २८००००
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२४००००
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