Book Title: Jainagama Thoak Sangraha
Author(s): Chhaganlal Shastri
Publisher: Jainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam

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Page 738
________________ ( ७२६) थोकडा संग्रह। के चरम द्रव्य विशेष, उनसे लोकालोक के चश्माचरम द्रव्य विशेष, उनसे लोक के चरम प्रदेश असंख्य गुणा, उनसे अलोक के चरम प्रदेश विशेष,उनसे लोक के अचम्म प्रदेश असंख्य गुणा, उनमे अलोक के अचरम प्रदेश अनन्त गुणा, नसे लोकालोक के चरमाचरम प्रदेश विशष । एवं हवन, पर्व द्रव्य, प्रदेश और पर्याय १२ बोलों का अल्प बहुत्व सर्व से कम लोकालोक के चरम द्रव्य, उनसे लोक के चाम द्रव्य असंख्य गुणा, उनसे अलोक के चरम द्रव्य विशेष, उनसे लोकालोक के चरमाचरम द्रव्य विशेष,उनसे लोक के चरम प्रदेश असंख्य गुणा, उनसे अलोक के चरम प्रदेश विशेष, उनसे लोक के अचरम प्रदेश असंख्य गुणा, उन से अलोक के अचरम प्रदेश अनन्त गुणा, उनसे लोकालोक के चरमा चरम प्रदेश विशेष, उनसे सर्व द्रव्य विशेष, उनसे सर्व प्रदेश अनन्त गुणा, उनसे सर्व पर्याय अनन्त गुणी। ॥ इति चरम पद सम्पूर्ण ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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