Book Title: Jainagama Thoak Sangraha
Author(s): Chhaganlal Shastri
Publisher: Jainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam

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Page 754
________________ धीर भगवान् की पवित्र वाणी का ____ अपूर्व संग्रह निग्रंथ- प्रवचन संग्रह कर्ता प्रखर पंडित मुनिश्री चौथमलजी महाराज यह ग्रंथ भगवान महावीर के उपदेश रूप समुद्र से निकाले हुए अपूर्व धर्म रत्नों का खजाना है । ग्रंथकारने अपने जीवन के अनुभव और परिश्रम का पूर्ण उपयोग करके इस संग्रह को तैयार किया है। इसमें गृहस्थ धर्म, मुनि धर्म, आत्म शुद्ध, ब्रह्मचर्य, लेश्या, पर द्रव्य, नर्क स्वर्ग आदि अनेक विषयों पर जैन सूत्रों में से खोज खोज कर गाथाएं संग्रह की गई हैं। पहिले मूल गाथा- और उसका अर्थ और फिर उसका सरल भावार्थ देकर प्रत्येक विषयको स्पष्ट रूपसे समझ या गया है। न्त में जिन सूत्रों से गाथाएं संग्रह की गई हैं उनका नाम और अध्याय नं० देकर सोने में मुगन्ध ही कर दिया है। इस एक ग्रंथ द्वारा ही अनेक सूत्रों का सार सहज में प्राप्त होजायगा । ३५० पृष्ठ और सुनहरा जिन्दसे सुसज्जित इस ग्रंश का मूल्य केवल ।) मात्र । शीघ्र मंगाइए अन्यथा दूस संस्करण की प्रतीक्षा करना पड़ेगी। पता-श्रीजनोदय पुस्तक प्रकाशक समिति, रतलार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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