________________
चर्मा - चरम |
चरमा चरम
( श्री पन्नवणाजी सूत्र, दसवां द )
द्वार ११-१ गति २ स्थिति ३ भव ४ भाषा ५ श्वासोश्वास ६ आहार ७ भाव ८ वर्ण ६ मंत्र १० रस ११ स्पर्श द्वार |
( ७२७ )
१ गति द्वार - गति अपेक्षा जीव चरम भी है और चरम भी है। जिन भव में मोक्ष जाना है वो गति चरम और अभी भव बाकी है वो अचरम, एक जीव अपेक्षा और २४ दण्डक अपेक्षा ऊपरवत जानना अनेक जीव तथा २४ दण्डक के अनेक जीव अपेक्षा भी चरम अचरम ऊपर अनुसार जानना ।
२ स्थिति द्वार-स्थिति अपेक्षा एकेक जीव, अनेक जीव, २४ दण्डक के एकेक जीव और २४ दण्डक के अनेक जीव स्यात् चरम, स्यात् चरम है ।
३ भव द्वार - इसी प्रकार एकेक और अनेक जीव अपेक्षा समुच्चय जीव और २४ दण्डक भव अपेक्षा स्यात् चरम है, स्यात् अचरम हैं ।
४ भाषा द्वार-भाषा अपेक्षा १६ दण्डक (५ स्थावर सिवाय के) एकेक और अनेक जीव चरम भी है और अचरम भी है ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org