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( ७२४ )
थोकडा संग्रह।
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रम प्रदेश है। कारण कि अन्त प्रदेशापेक्षा मध्य का प्रदेश अचरम है।
रत्नप्रभा के समान ही नीचे के ३६ बोलों को चार चार बोल लगाय जासक्ते हैं। ७ नारकी, १२ देव लो, हनीयवेक, ५ अनुत्तर विमान, १ सिद्ध शिना, १ लोक और १ अलोक एवं ३६x४=१४४ बोल होते हैं।
इन ३६ बोलों की चरम प्रदेश में तारतम्यता है । इसका अल्प बहुत्व
रत्न प्रभा के चरमाचरम द्रव्य और प्रदेशों का अल्प बहुत्व-सर्व से कम अचरम द्रव्य, उनसे चरम द्रव्य असंख्यात गुणा, उनसे चरमाचरम द्रव्य विशेष, सर्व से कम चरम प्रदेश, उनसे अचरम प्रदेश असंख्यात गुणा, उनसे चरमाचरम प्रदेश विशेष । . द्रव्य और प्रदेश का एक साथ अल्प बहुत्व, सर्व से कम अचरम द्रव्य, उनसे चरम द्रव्य असंख्यात गुणा, उनसे चरमाचरम द्रव्य विशेष, उनसे चरम प्रदेश असं.ख्य गुणा, उनसे अचरम प्रदेश असंख्य गुणा, उनसे चरमाचरम प्रदेश विशेष, इसी प्रकार लोक सिवाय ३५ बोलों का अल्प बहुत्व जानना ।
अलोक में द्रव्य का अल्प बहुत्व-सर्व से कम अचरम द्रव्य, उन
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