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संख्यादि २१ बोल ।
(६८१)
ज० प्र० अनन्ता की राशि को परस्पर गुणित करने से ज० युक्ता अनन्ता, इस में से २ न्यून म०प्र० अनन्ता, १ न्यून उ० प्र० अनन्ता जानना ।
ज० यु० अनन्ता को परस्पर गुणित करने से ज० अनन्तानन्त संख्या होती है जिसमें से २ न्यून वाली म० युक्ता अनन्ता १ न्यून वाली उयुक्ता अनन्ता जानना ।
ज० अनन्तानन्त को परस्पर गुणाकार करने से म० अनन्तानन्त संख्या निकलती है और परस्पर गुणाकार करे तो उ० अनन्तानन्त संख्या जानना परन्नु संसार में उत्कृष्ट अनन्तानन्त संख्या वाले कोई पदार्थ नहीं है ।
तत्व केवली गम्य।
॥ इति संख्यादि २१ बोल सम्पूर्ण ।
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