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(६८०)
थोडा संग्रह।
और अनवस्थित को कम से भर देवे।
इस तरह चार ही पाले भर देवे अन्तिम दाना जिस द्वीप व समुद्र में पड़ा होवे वहां से प्रथम द्वीप तक डाले हुवे सब दानों को एकत्रित करे और चार ही पालों के एकत्रित किये हुये दानों का एक ढर करे इस में से एक दाना निकाल ले तो उत्कृष्ट संख्याता, निकाला हुवा एक दाना डाल दे तो जघन्य प्रत्येक असंख्याता जानना इम दाने की संख्या को परस्पर गुणाकार (अभ्यास ) करे और जो संख्या आये वो जघन्य युक्ता असख्याता कहलाती है इस में से एक दाना न्यून वो उ० प्र० असंख्याता दो दाना न्यून वो मध्यम प्र० असंख्याता (१ श्रावलिका का समय ज० युक्ता असंख्याता जानना )।
जघन्य युक्ता असंख्याता की राशि (ढेर ) को परस्पर गुणा करने से ज० असंख्याता असंख्यात संख्या निकलती है इस में से १ न्यून वो उ० युक्ता असंख्यात दो न्यून वाली म० युक्त। असंख्याता जानना ।
ज. असं असंख्याता की गशि को पास्पर गुणित करने से ज. प्रत्येक अनंता संख्या आती है इस में से २ न्यून वाली संख्या म० असं असंख्याता और न्यून वाली उ० असं० असंख्याता जानना ।
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