Book Title: Jainagama Thoak Sangraha
Author(s): Chhaganlal Shastri
Publisher: Jainoday Pustak Prakashan Samiti Ratlam

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Page 725
________________ संस्थान द्वार 1 संस्थान---द्वार ( श्री भगवतोजी सूत्र, शतक २५ उद्देशा ३ ) संस्थान = प्राकृति इसके दो भेद १ जीव संस्थान और २ अजीव संस्थान जीव संस्थान के ६ भेद१ समचौरस २ सादि ३ निग्रोध परिमण्डल ४ वामन ५ कुब्जक ६ हूंड संस्थान । अजीव संस्थान के ६ भेद१ परिमंडल ( चूड़ी के समान गोल ) २ वन (लडू समान गोल) ३ स ( त्रिकोन ) ४ चौरंस ( चौरस ) ५ आयतन ( लकड़ी समान लम्बा ) ६ अनवस्थित ( इन पांचों से विपरीत) | ( ७१३ ) परिमण्डल श्रादि छः ही संस्थानों के द्रव्य अनन्त हैं संख्याता या असंख्याता या असंख्याता नहीं । इन संस्थानों के प्रदेश भी अनन्त हैं, संख्याता - संख्याता नहीं | ६ संस्थानों का द्रव्यापेक्षा अल्प बहुत्व सर्व से कम परिमंडल संस्थान के द्रव्य । उनसे वट्ट के द्रव्य संख्यात गुणी उनसे चौरस के द्रव्य संख्यात गुणा उनसे स के द्रव्य संख्यात गुणा उनसे श्रायतन के द्रव्य संख्यात गुणा, उनसे अनवस्थित के द्रव्य असंख्यात गुणा । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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