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खेत णु वई।
( ७७ )
(४) ऊर्ध्व-तीछों लोक-( ज्यातिषी के ऊपर के तला के प्रदेशी प्रतर के बीच में ) में देव गमनागमन के समय और जीव चवकर ऊर्व लोक में तथा तीर्छ लोक जाते गमनागमन के समय स्पर्श करते हैं।
(५) अधो-ती लोक में भी दोनों प्रतरों को चव कर जाते आते जीव स्पर्शते हैं।
(६) तीनों ही लोक ( अवं, अधो और ती लोक ) का देवता, देवी तथा मरणांतिक समुद्रघात करते जीव एक साथ स्पर्श करते हैं ।
२४ दण्डक के जीव उपरोक्त ६ लोक में कहाँ न्यूनाधिक हैं ! इसका अल्प बहुत्व ।
२० बोल ( समुच्चय एकन्द्रिय, ५ स्थावर ये ६ समुच्चय, ६ पर्याप्ता, ६ अपर्याप्ता, १ समुच्य और १ समुच्चय तिथच ) का अल्म बहुत्त ।
सर्व से कम ऊर्धीछे लोक में, उनी अधो तीर्छ लोक में विशेष उससे तीछे लोक में असंख्यात गुणा उनसे तीनों लोक में असंख्यात गुणा उनसे ऊर्ध्व लोक में प्रख्यात गुणा उनसे तीनों अधा लोक में विशेष ।
३ बोल ( समुच्चय नारकी, पर्याप्ता और अपर्याप्ता नारकी का अल्प बहुत्व--सवे से कम तीन लोक में अधो ती लोक में असंख्यात,अधो लोक में संख्यात गुणा ।
६ बोल-भवनपति के (१ समुच्चय, १ पर्याप्ता,
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