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काही
प्रमाण नय ।
(६६३) (३)" "पर्याय का " -" " स्वरूपवान है (४) गुण में द्रव्य का " - " अज्ञानी जीव है (५) " " गुण " " -"ज्ञानी होने पर भी
क्षमावंत है। (६) गुण में पर्याय का " - " यह तपस्वी बहुत
स्वरूपवान है। (७) पर्याय में द्रव्य का " - " यह प्राणी देवता
का जीव है। (८) " " गुण का " - " यह मनुष्य बहुत
ज्ञानी है। (६) " " पर्याय का " - " यह मनुष्य श्याम
वर्ण का है इत्यादि। २३ पक्ष पाठ-एक वस्तु की अपेक्षा से अनेक व्याख्या हो सक्ती है । इस में मुख्यतया आउ पक्ष लिये जा सकते हैं । नित्य, अनित्य, एक, अनेक, सत्, असत, वक्तव्य और प्रवक्तव्य ये आठ पक्ष निश्चय व्यवहार से उतारे जाते हैं। पक्ष व्यवहार नय अपेक्षा निश्चय नय अपेक्षा नित्य एक गति में घूमने से नित्य है । ज्ञान दर्शन अपेक्षा नित्य है अनित्य समय २ आयुष्य क्षय होने से गुरु लघु आदि पर्याय से अनित्य है ।
अनित्य है एक गति में वर्तन दश से एक है चैतन्य अपेक्षा जीव एक है अनेक .. पुत्र पुत्री, भाई अादि स. से अ.है असंख्य प्रदेशापेक्षा अनेक है सत् स्वगति , स्वक्षेत्रापेक्षा सत् है ज्ञानादि गुणापेक्षा सत् है
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