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भवनपति विस्तार ।
(६५७)
१६ परिषद द्वार-परिषमा(सभा)तीन प्रकार की हैं।
१ आभ्यन्तर सभा-सलाह योग्य बड़ों की सभा जो मान पूर्वक दुलाने से प्रादें ( औ भेजने पर जावें)।
२ मम सभा-सामान्य विवार वाले देवों की सभा जो बुलाने से आवे परन्तु बिना भेजे जावें ।
३ बाह्य सभा-जिन्हें हुक्म दिया जा सके ऐसे देवों की सभा, जो बिना बुलाये आयें और जावें।
श्राभ्यन्तर सभा मध्य सभा बाह्य सभा
देव सं० स्थिति देव सं० स्थिति देव मं० स्थिति चमरेन्द्र २३००० २॥पल्य २८००० २ पल्प ३५००० १॥पल्य बलेन्द्र २०००० ३॥ ,, २४००० ३ ,, २८००० २॥ , दक्षिण के
६ इन्द्र ६०००० १ ,, ७०००० ०॥ ,, ८०००० ०॥ ,, उत्तर के
से अ० से अ० ६ इन्द्र ५०००००। , ६०००० ,,, ७०००० , ,
स० श्राभ्यन्तर सभा मध्यम सभा बाहा सभा
देवी सं० स्थिति देवी सं० स्थिति देवी सं० स्थिति चमरेन्द्र ३५० १॥पल्य ३०० १ पल्य २५० १ पल्य बलेन्द्र ४५८ २॥ , ४०० २, ३५० १॥ ,, दक्षिण के ६ इन्द्र १७५ ॥, १५० , १२५ ०,
से न्यून से अ० उत्तर के ६ इन्द्र २२५ ॥पल्य २०० ०॥पल्य १७५ ०,
से न्यून सेना
से न्यून
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