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योकडा संग्रह।
र शाही
१४ पूर्व का यंत्र १४ पूर्व के पद संख्या स्याही विषय-वर्णन ' नाम
"हास्त उत्पाद क्रोड १० ४ १ सर्व द्रव्य, गुण पर्याय
की उत्पति और नाश अगणीय ७० लाख १३१२ २ सद्र० गु०प० का ज्ञान वीर्य ६०
८ ८ ४ जीवों के वीर्य का वर्णन श्रास्ति १ काड़ १८१० ८ श्रास्ति नास्ति का स्वरूप नास्ति
और स्याद्वाद ज्ञान प्रमाद २" १२० १६ पांच ज्ञान का व्याख्यान सत्य " २६" E२० ३२ सत्य संयम का" आत्मा” १"८०ला. ० ६४ नय प्रमाण. दर्शन सहित
श्रात्म स्वरूप कर्म " ८४ लाख
१२८ कर्म प्रकृति, स्थिति अनु
भाग, मूल उतर प्रकृति प्रत्याख्यान १को १६०२० ० २५६ प्रत्याख्यान का प्रतिप्रमाद
पादन विद्याप्रमाद६
० ५१२ विद्या के अतिशय का
व्याख्यान कल्याणक' १ " १२ ० १०२४ भगवान के कल्याणका" प्राणावाय" " १३ ० २०४८ भेदस,हतप्राणके विका' क्रियावशा०.५०ला, ३० - ४०६६ क्रिया का व्याख्यान लोक बिंदु-६६ लाख २५ ० ८११२ बिन्दु में लोक स्वरूप,
सर्व अक्षर सन्निपात अम्बाड़ी सहित हाथी के समान स्याही के ढगले से पूर्व लिखाया जाता है एवं १४ लिखने के लिये कुल १६३८३ हाथी प्रमाण स्वाही की जरूरत होती है इतनी स्याही से जो लिखा जाता है उस ज्ञान को १४ पूर्व का ज्ञान कहते हैं।
॥ इति १४ पूर्व का यन्त्र सम्पूर्ण ॥
बे गणधर श्री सुधमास्वामी
सार
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