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समुद्ध त-पद।
(५८३)
भविष्य में स्य त संख्याती स्यात् असंख्याती करेगा।
५ परस्पर की अपेक्षा २४ दण्डक-एक एक नेरिया भूतकाल में नेरिया रूप में अनन्ती वंदनी समु० करी भविष्य में कोई करेगा, कोई नहीं करेगा, जो करेगा तो १.२.३ संख्याती, असंख्याती अनंती करेगा एवं एकेक नेरिया, असुर कुमार रूप में यावत् वैमानिक देव रूप से कहना।
एकेक असुर कुमार रूप में वेदनी समु. भूतकाल में अनन्ती करी, भविष्य में करे तो जाव अनंती करेगा असुर कुमार देव असुर कुमार रूप में वेदनी समु० भूत में अनंती करी, भविष्य में करे तो १.२-३ जाव अनंती करेगा एवं वैमानिक तक कहना और ऐसे ही २४ दण्डक में समझना ।
कषाय समु० एकेक नेरिया नेरिया रूप से भूत में अनंती करी भविष्य में करे तो १-२-३ जाव अनंती करंगा एकेक नरिया असुर दुमार रूप से भूतकाल में अनंती करी भविष्य में करे तो संख्याती, असंख्याती, अनंती करेगा ऐसे ही व्यन्तर, ज्योतिषी, वैमानिक रूप से भी भविष्य में करे तो असंख्याती व अनंती करेगा। - उदारिक के १० दण्डक में भूतकाल में अनंती करी भविष्य में करे तो १-२-३ जाव अनंती करे एवं भवनपति का भी कहना।
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