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नियंठा।
( ५६७)
सिवाय ) कर्म भूमि और अकर्म भूमि में होवे । प्रसंगोपात पुलाक लब्धि पाहारिक शरीर, साधी, अप्रमादी, उपशम श्रेणी वाले, क्षपक श्रेणीवाले और केवली होने बाद संहरण नहीं हो सके।
१२ कार द्वार पुलाक, निग्रंथ और नाक अवप० काल में तीसरे चौथे आरे में जन्मे और ३.४.-५ वें आरे में प्रवर्ते० उत्स० काल में २--३.४ अरे में जन्में और ३-४ थे बारे में प्रवत । महा विदेह में सदा होवे ।
पुलाक का संहरण नहीं होवे, प न्तु निग्रंथ, स्नातक संहरण अपेक्षा अन्य काल में भी होवें । वकुश पडिसेवण
और कषाय कुशील अवस० काल के ३-४.-५ आरे में जन्मे और प्रवत । म० काल के २-३--४ारे में जन्मे और ३-४ बारे में प्रवः महाविदेह में सदा होवे ।
स्थिति जघन्य उत्कृष्ट जघन्य उत्कृष्ट पुलाक सुधर्म देव० सहस्त्र र दे० प्रत्येक पल्य.१८सा. वकुश " " अच्युत " " २२" पडिसेवण " " " " " २२" कषाय कुशील"" अनुत्तर विमान " ३३" निग्रंथ अनुत्तरविमान सार्वार्थ सिद्ध ३१ सागर ३३" स्नातक "" मोक्ष ३३ ॥ ३३"
देवताओं में ५ पदवियें हैं-१ इन्द्र २ लोकपाल ३
नाम
गति
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