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(५८४)
थोकडा संग्रह।
एकेक पृथ्वी काय के जीव नारकी रूप से कषाय समु० भूत काल में अनंती करी और भविष्य में करेगा तो स्यात् संख्याती, असंख्याती, अनंती करेगा एवं भवन पति, व्यन्तर, ज्योतिषी और वैमानिक रूप से भी भविष्य में असंख्याती, अनंती करेगा उदारिक के १० दण्डक में भविष्य में स्यात् १.२-३ जाव संख्याती, असंख्याती, अनंती करेगा । एवं उदारिक के १० दण्डक, व्यन्तर, ज्योतिषी, वैमानिक असुर कुमार के समान समझना !
एकेक नेरिया नेरिये रूप से मरणांतिक समु० भूत में अनंती करी, भविष्य में जो करे तो १-२-३ संख्याती जाव अनंती करेगा एवं २४ दण्डक कहना परन्तु स्वस्थान परस्थान सर्वत्र १.२.३ कहना, कारण मरणांतिक समु० एक भव में एक ही बार होती है।
एकेक नेरिया नेरिये रूप से वैक्रिय समु० भूत काल में अनंती करी, भविष्य में जो करे तो १.२.३ जाव अनंती करेगा । ऐसे ही २४ दण्डक, १७ दण्डक पने कषाय समु० समान करे सात दण्डक (४ स्थावर ३ विकले. न्द्रिय ) में वैक्रिय समु० नहीं ।
___ एकेक नेरिया नेरिये रूप से तैजस समु० भूत में नहीं करी, भविष्य में नहीं करेगा। ___ एकेक नेरिया असुर कुमार रूप से भूत काल में
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