________________
(५६०)
थोकडा संग्रह।
वान है । जैसे सामान्यतः द्रव्य एक है । विशेषतः ६-६ धमोस्ति काय का सामान्य गुण चलन सहाय है । अधर्मा का स्थिर सहाय, पाका. का अवगाहदान, काल का वर्त. ना, जीव. का चैतन्य, पुदल, का जीणे गलन विध्वंसन गुण और विशेष गुण छः ही द्रव्यों का अनन्त अनन्त है।
निश्चय व्यवहार द्वार-निश्चय से समस्त द्रव्य अपने २ गुणों में प्रवृत होते हैं । व्यवहार में अन्य द्रव्यों की अपने गुण से सहायता देते हैं । जैसे लोकाकाश में रहने वाले समस्त द्रव्य अाकाश अवगाहन में सहायक होते हैं । परन्तु अलोक में अन्य द्रव्य नहीं अतः अवगा. हन में सहायक नहीं होते प्रत्युत अवगाहन में षट्गुण हानि वृद्धि सदा होती रहती है । इसी प्रकार सब द्रव्यों के विषय में जानना।
१० नय द्वार-अंश ज्ञान को नय कहते हैं । नय ७ हैं इनके नाम-१ नैगम २ संग्रह ३ व्यवहार ४ ऋजु सूत्र ५ शब्द ६ समभिरूढ और ७ एवं भूत नय, इन सातों नय बालों की मान्यता कैसी है ? यह जानने के लिये जीव द्रव्य ऊपर ७ नय उतारे जाते हैं। १ नैगम नय वाला-जीव कहने से जीवके सब नामोंको ग्र०करे २ संग्रह " - " " जीवके असंख्य प्रदेशों को" ३ व्यवहार " - " " से त्रस स्थावर जीवों को" ४ ऋजुसूत्र" - " " सुखदुख भोगने वाले जी.को"
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org