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थोकडा संग्रह।
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१ समकित, भव्य १, दण्डक १, पक्ष १ शुक्ल । ___४ परिहार विशुद्ध चारित्र में भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य १ पंडित, दृष्टि १ समकित, भव्य १, दण्डक १ पक्ष १ शुक्ल ।
५ सूक्ष्म संपराय चारित्र में- ऊपर प्रमाणे ।
६ यथा ख्यात चारित्र में--भाव ५, आत्मा ७ (कषाय छोड़ कर ), लब्धि ५, वीये १, दृष्टि १, भव्य १, दण्डक १, पक्ष १।
७ असंयति में--भाव ५, आत्मा ७ (चारित्र छोड़ कर ) लब्धि ५, वीय १ बाल वीर्य, दृष्टि ३, भव्य अभव्य २, दण्डक २४, पक्ष २। . ८ संयता संयंति में-भाव ५, आत्मा ७ ऊपर अनुसार, लब्धि ५, वीर्य १ बाल पण्डित, दृष्टि १ समकित, भव्य १, दण्डक २, पक्ष १ शुक्ल |
६ नो संयात नो असंयति नो संयता संयति में. भाव २, क्षायक, परिणामिक, आत्मा ४, लब्धि नहीं, वीर्य नहीं, दृष्टि १ समकित, नो भव्य नो अभव्य, दण्डक नहीं, पक्ष नहीं।
१३ उपयोग द्वार के २ भेद साकार उपयोग में-भाव ५, आत्मा ८, लब्धि ५, वीर्य ३, दृष्टि ३, भव्य अभव्य २, दण्डक २४, पक्ष २।
२ अनाकार उपयोग में-भाव ५, आत्मा ८,
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