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थोकडा संग्रह।
१८४ मिश्र योगी देवता वैक्रिय शरीर में
- १८४ १८५ कृष्ण लशी सम्यग दृष्टि में ५ १८ ६० ७२ १८६ नील लेशी सम्यग दृष्टि में ६ १८ ६० ७२ १८७ श्रभाषक मनुष्य एक संस्थानी में
- १८७ १८८ विभंग ज्ञानी देवताओं में - - - १८८ १८६ तिर्यक लोक नो गर्भज त्रसमें - १६ १०१ ७२ १६० लवण समुद्र चक्षु इन्द्रिय में - २२ १६८ - १६१ तिर्यक् लोक कृष्ण लेशी नो गर्भज में
- ३८ १०१ ५२ १६२ लवण समुद्र घ्राणेन्द्रिय में - २४ १६८ - १६३ समुच्चय नपुंसक वेद में १४ ५८ १३१ ५२ १६४ लवण समुद्र त्रस जीवों में - २६ १६८ - १६५ सम्यग् दृष्टि वैक्रिय शरीरमें १३ ५ १५ १६२ १६६ ते नो लेशी सम्यग दृष्टि में - १० . ६० ६६ १६७ एक वेदी चनु इन्द्रिय में १४ १२ १०१ ७० १६८ एकांत मिथ्यात्वीअभाषकमें १ २२ १५७ १८ १६६ नो गर्भज वैक्रिय मिश्र योगी में
। १४ १ -१८४ २०० वचन योगी तीन शरीर में ७ ८. ८६ ६६ २०१ एक वेदी त्रस में १४ १६ १०१.७०
RSS ना गमज वाकयामश्र
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