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पांच देव ।
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का देवपने रहे तो कितने काल तक रह सकता है । भवि द्रव्य देव की संचिठणा जघन्य अन्तर्मुहूर्त की उत्कृष्ट ३ पल्योपम की । नर देव की जघन्य सातसो वर्ष की उत्कृष्ट ८४ लक्ष पूर्व की । धर्म देव की परिणाम आश्री एक समय प्रवर्तन या श्री जघन्य अन्तर्मुहूर्त की उत्कृष्ट देश उणी पूर्व क्रोड़ की देवाधि देव की जघन्य ७२ वर्ष की उत्कृष्ट ८४ लक्ष पूर्व की । भाव देव की जघन्य दश हजार वर्ष की उत्कृष्ट ३३ सागरोपम की ।
८ अन्तरद्वारः - भवि द्रव्य देव में अन्तर पड़े तो जघन्य दश हजार वर्ष और मुहूर्त अधिक । उत्कृष्ट अनन्त काल का । नर देव में जघन्य एक सागर जाजेरा उत्कृष्ट अर्ध पुद्गल परावर्तन में देश न्यून धर्म देव में अन्तर पड़े तो जघन्य दो पल्य जोजरा उत्कृष्ट अर्ध पुद्गल परावर्तन में देश न्यून | देवाधि देव में अन्तर नहीं पड़े भाव देव में अन्तर जघन्य अन्तर्मुहूर्त का उत्कृष्ट अनन्त
काल का |
६ अल्पबहुत्व द्वारः-१ सर्व से कम नर देव २ उनसे देवाधिदेव संख्यात गुणा ३ उनसे धर्मदेव संख्यात गुणा ४ उनसे भवि द्रव्य देव असंख्यात गुणा और ५ उनसे भाव देव असंख्यात गुणा ।
॥ इति पांच देव का थोकड़ा सम्पूर्ण ॥
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