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धर्म ध्यान ।
(४७१)
धर्म ध्यान
उववाई सूत्र पाठ। सकिंतं धम्मे झाणे ? चउविहे, चउ पड़यारे पन्नते तंजहा; आणाविज्जए १ अवाय विज्जए २ विवाग विजए ३ संठाण विजए ४; धम्मस्लणं झाणस्म चत्तारि लग्बणा पन्नता तंजहा, प्राणरूइ १ निसग्ग रूई २ सूत्तरूई ३ उवएस रूई ४, धम्मस्सणं माणस्स चत्तारि अालम्बण पन्नत्ता तंजहा, वायणा १ पुछणा २ परियट्टणा ३ धम्मकहा ४; धम्मस्सणं माणस्स चत्तारि अणुप्पेहा पन्नता तंजहा, एगच्चाणुप्पेहा १ अणिच्चाणुप्पेहा २ असरणाणु पेहा ३ संसारणुप्पेहा।
भावार्थ-धर्म ध्यान के चार भेद १ प्राणाविजए कहेता वीतराम की आज्ञा का विचार चिंतन करे । समकित सहित बारह व्रत, श्रावक की इग्यारह पडिमा, पंच महाव्रत, भिक्षु ( साधु ) की बारह पडिमा, शुभ ध्यान, शुभ योग, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप व छकाय की रक्षा एवं वीतराग की आज्ञा का आराधन करे । इसमें समय मात्र का प्रमाद नहीं करे । और चतुर्विध तीर्थ के गुणों का कीर्तन करे । इस प्रकार धर्म ध्यान का यह पहला भेद खतम हुवा।
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