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जीव के चौदह भेद में से समुच्चय १४
भेद पावे १४ पावे
१४ पावे
१४ पावे
३ विकलेन्द्रिय संज्ञी अपर्याप्ता और संज्ञी के दो एवं ६ १४ पावे
६ दर्शन आत्मा में
७ चारित्र आत्मा में १ संज्ञी का पर्याप्त पावे प्रथम पांच छोड़
वीर्य आत्मामें
शेष नव पावे १४ पावे
१४ पावे
१५ पावे
* इति आठ आत्मा का विचार सम्पूर्ण
श्राठ श्रात्मा श्रा का दूसरा यन्त्र १ द्रव्य आत्मा में
२ कषाय आत्मा में
३ योग आत्मा में
४ उप० श्रात्मा में ज्ञान आत्मा में
चौदह गुण स्थानक में से समुच्चय १४ गुण
स्थानक पावे
प्रथम १० गुण स्थान
पहले से तेरह गुण स्थानक तक पावे १४ गुण स्थानक पहेला और तीसरा छोड़ कर शेष १२ गुण पावे
१४ पावे
पंद्रह योग में से समुच्चय १५
योग पावे
१५ पावे
१५ पावे
१५ पावे
१५ पावे
१५ प. वे
१५ पावे
बारह उपयोग में से
समुच्चय १२ उपयोग पावे
केवल ज्ञान व केवल
दर्शन छोड़, शेष १२ पावे
१० पावे
१२ उपयोग पावे
तीन अज्ञान छोड़ नव उपयोग पावे
१२ उपयोग पावे ३ अज्ञान छोड़ शेष
नव उपयोग
१२ उपयोग पावे
छे लेश्याओं में से
समुच्चय ६ लेश्या
६ लेश्या
६ लेश्या
६ लेश्या
६ लेश्या
६ लेश्या ६ लेश्या
६ लेश्या
( ४६४ )
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