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( ४६८)
थोकडा संग्रह।
* अवधि पद (सूत्र श्री पन्नवणाजी पद तेंतीशवां)
इसके दश द्वार-१ भेद द्वार २ विषय द्वार ३ संठाण द्वार ४ श्राभ्यन्तर और बाह्य द्वार ५ देश थकी व सर्व थकी ६ अनुगामी ७ हायमान वर्धमान ८ अवठ्ठीया ६ पड़वाई १० अपड़वाई।
१ भेद द्वार-नेरिये व देव भव प्रत्ये देखे अर्थात् उत्पन्न होने के समय से ही उन्हें अवधि ज्ञान होता है तिर्यंच व मनुष्य क्षयोपशम भाव से देखे ।
२ विषय द्वार:-पहेली नरक का नेरिया जघन्य साढ़े तीन गाउ देखे उत्कृष्ट चार गाउ, दूसरी नरक का नेरिया जघन्य तीन गाउ उत्कृष्ट साड़े तीन गाउ, तीसरी नरक का नेरिया जघन्य अढाई गाउ उत्कृष्ट तीन गाउ, चौथी नरक का नेग्यिा जघन्य दो गाउ उत्कृष्ट अढाई गाउ, पांचवी नरक का जघन्य डेढ गाउ उत्कृष्ट दो गाउ, छठी नरक का जघन्य एक गाउ उत्कृष्ट डेढ गाउ, सातवीं नरक का जघन्य आधा गाउ उत्कृष्ट एक गाउ देखे । भवन पति जघन्य पञ्चीश योजन तक देखे उत्कृष्ट तीन प्रकार से देखे ऊंचा-पहेले दूसरे देवलोक तक, नीचे-तीसरी नरक के तले तक और तीछो-पल के आयुष्य वाले संख्यात द्वीप समुद्र देखे व सागर के आयुष्य वाले असं.
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