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थोकडा संग्रह।
उस के ज्ञान का विस्तार होता है । ( १७ ) मघा नक्षत्र के सात तारे होते हैं जिनका प्राकार गिरे हुवे किले की दीवार समान है केसर खाकर चलने पर बुरी तरह से
आकस्मिक मरण होता है । ( १८) पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के दो तारे होते हैं। इनका आकार प्राधे पलङ्ग जैसा होता है इस समय कोविड़े (फल) की शाक खाकर चलने से विरुद्ध फल की प्राप्ति होती है परन्तु शास्त्र अभ्यासी के लिए श्रेष्ठ है । (१६) उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के भी दो तारे होते हैं और आकार भी आधे पलङ्ग जैसा होता है इस समय कड़ा नामक वनस्पति की फली की शाक खाकर चलने पर सहज ही क्लेश मिलता है। यह नक्षत्र दीक्षा लायक है । ( २० ) हस्त नक्षत्र के पांच तारे हैं । इसका प्राकार हाथ के पंजे समान है सिंगोड़े खाकर उत्तर दिशा सिवाय अन्य तरफ चलने से अनेक लाभ हैं व नये शास्त्र अभ्यासियों को अत्यन्त शक्ति देने वाला है । (२१) चित्रा नक्षत्र का एक ही तारा है खिले हुवे फूल जैसा उसका आकार है । दो पहर दिन चढने बाद मूंग की दाल खाकर दक्षिण दिशा सिवाय अन्य दिशाओं में जाने पर लाभ होता है व ज्ञान वृद्धि होती है (२२) स्वाति नक्षत्र का एक तारा है इसका आकार नाग फनी समान होता है आम खाकर जाने पर लाभ लेकर कुशल क्षेम पूर्वक जन्दी घर लौट आसक्के हैं । ( २३ ) विशाखा
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