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नक्षत्र और विदेश गमन ।
नक्षत्र के पांच तारे होते हैं जिसका आकार घोड़े की लगाम ( दामणी ) जैसा है इस योग पर अलसी फल खाकर जाने से विकट काम सिद्ध हो जाते हैं । ( २४ ) अनुराधा नक्षत्र के चार तारे हैं। इसका आकार एकावली हार समान होता है । चावल मिश्री खाकर जाने से दूर देश यात्रा करने पर भी कार्य सिद्धि कठिनता से होती है। ( २५) जेष्टा नक्षत्र के तीन तारे हैं इनका आकार हाथी के दांत जैसा है इस समय कलथी की शाक अथवा कोल कुट ( बोर कुट ) खाकर चलने से शीघ्र मरण होता है । (२६) मूल नक्षत्र के इग्यारह तारे हैं इसका वींछे जैसा आकार है मूला के पत्र की शाक खा कर जाने से कार्य सिद्धि में बहुत समय लगता है । इस नक्षत्र को बछड़ा भी कहते हैं। ज्ञान अभ्यासियों के लिये तो यह अच्छा है। ( २७ ) पूर्वाषाढ नक्षत्र के चार तारे हैं । हाथी के पाँव समान इसका आकार है इस समय खीर आँवला खाकर जाने से क्लेश कुसम्म व अशान्ति प्राप्त होती है परन्तु शास्त्र अभ्यासियों को अच्छी शक्ति देने वाला होता है (२८) उत्तराषाढ नक्षत्र के चार तारे होते हैं इसका बैठे हुवे सिंह समान आकार है । इस समय पके हुवे बीली फल खाकर जाने से सर्व साधन सहित कार्य सिद्धि होती है यह नक्षत्र दीक्षित करने योग्य है। __ऊपर बताये हुवे अठ्ठावीश नक्षत्रों में से पांचवां, बारहवाँ, तेरहवां, पन्द्रहवां, सोलहवां, अठारहवां, वीशवां,
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