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नक्षत्र और विदेश गमम ।
(४५१) है यह नक्षत्र दीक्षा देने योग्य है । (१२) मृग शीर्ष नक्षत्र के तीनं तारे होते हैं। इसका आकार हिरण के सिर समान होता है । इलायची खाकर चलने पर अत्यन्त लाभ होता है। यह नक्षत्र नये विद्यर्थी की तथा नये शास्त्रों का अभ्यास करने वालों की ज्ञानवृद्धि करने वाला है। (१३) आर्द्रा नक्षत्र का एक ही तारा है । इसका रुधिर के बिन्दु समान आकार है । इस समय नवनीत (माखन ) खाकर चलने से मरण, शोक, संताप तथा भय एवं चार फल की प्राप्ति होती है । परन्तु ज्ञान अभ्यासियों को सत्वर उत्तम फल देने वाला निकलता है व वर्षा ऋतु के मेघ-बादल की अस्वाध्याय दूर करता है । (१४) पुनर्वसु नक्षत्र के पांच तारे हैं। इसका आकार तराजू के समान है । घृत शकर खाकर चलने पर इच्छित फल मिलते हैं (१५) पुष्प नक्षत्र के तीन तारे हैं। जिसका आकार बधमान (दो जुड़े हुवे रामपात्र ) समान होता है । खीर खाएड खाकर चलने से अनियमित लाभ की प्राप्ति होती है। व इस नक्षत्र में किये हुवे नये शास्त्र का अभ्यास भी बढता है । ( १६) अश्लेषा नक्षत्र के छः तारे हैं। इसका आकार ध्वजा समान है । इस समय सीताफल खाकर चले तो प्राणान्त भय की सम्भावना होती है परन्तु यदि कोई ज्ञान अभ्यास, हुन्नर, कला, शिल्प शास्त्र आदि के अभ्यास में प्रवेश करे तो जल तथा तेल के बिन्दु समान
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