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(४३६)
थोकडा संग्रह।
कोड़ रोम होते हैं। जिनमें से दो कोड़ और एकावन लाख गले ऊपर व नवाणु लाख गले के नीचे होते हैं। दूसरे मत से-इतनी संख्या के रोम गाडर के कहलाते हैं यह विचार उचित ( वाजवी ) मालूम होता है । एकेक रोम के उगने की जगह में १॥ से कुछ विशेष रोग भरे हुवे हैं । इस हिसाब से पौने छः करोड़ से अधिक रोग होते हैं । पुन्य के उदय से ये ढंके हुवे होते हैं। यहीं से रोम आहार की शुरूआत हाने की सम्भावना है 'तत्वं तु सर्वज्ञ गम्यं । यह आहार माता के रुधिर का समय समय लेने में आता है और समय समय पर गमता है । सातवें महिने सात सो सिराएं अर्थात् रसहरणी नाड़ियां बन्धती है । इनके द्वारा शरीर का पोषण होता है । और इससे गर्भ को पुष्टि मिलती है । इनमें से स्त्री को ६७० ( नाड़िये) नपुंसक को ६८० और पुरुष का ७०७ पूरी होती हैं। पांवसो मांस की पेशियाँ बन्धती हैं। जिनमें से स्त्री के तीस और नपुंपक के वीस कम होती हैं इनसे हड्डियें ढंकी हुई रहती हैं । हाड़ में सर्व मिलाकर ३६० सांधे ( जोड़) होते हैं । एकेक जोड़ पर पाठ पाठ ममे के स्थान है। इन मर्म स्थानों पर एक टकोर लगने पर मरण पाता है। अन्य मान्यता से एक सौ साठ संधि और १७० मर्म-स्थान होते हैं । उपरान्त सर्वज्ञ गम्य । शरीर में छः अङ्ग होते हैं । जिनमें से मांस लोही,
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