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थोकडा संग्रह |
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की तरह आकर भर जाते हैं । कर्म योग से उसके क्वचित् गर्भ रह जाता है तो जितने पुरुषों के रजकण आये हुवे हों सर्व पुरुष उस जीव के पिता तुल्य माने जाते हैं । एक साथ दश हजार तक गर्भ रह सकता है । इस पर मच्छी तथा सपनी माता का न्याय है । मनुष्य के अधिक से अधिक तीन सन्तान हो सक्ती हैं शेष मरण पा जाते हैं । एक ही समय नव लाख उत्पन्न हो कर यदि मर जावे तो वह स्त्री जन्म पर्यन्त बाँझ रहती है । दूसरी तरह जो खी कामान्ध बन कर अनियमित रूप से विषय का सेवन करे अथवा व्यभिचारिणी बन कर मर्यादा रहित पर पुरुष का सेवन करे तो वो स्त्री बाँझ होती है । उसके गर्भ नहीं रहता ऐसी स्त्री के शरीर में झरी ( ज़हरी ) जीव उत्पन्न होते हैं कि जिनके डङ्क से विकारों की वृद्धि होती है व इससे वह स्त्री देव गुरु धर्म व कुल मर्यादा तथा शियल व्रत के लायक नहीं रह सकती । ऐसी स्त्री का स्वभाव निर्दय तथा असत्यवादी होता है । जो स्त्री दयालु तथा सत्यवादी होती है वो अपने शरीर को यातनां करती है । कामवासना पर काबू रखती है । अग्नी प्रजा की रक्षा के निमित सांसारिक सुखों के अनुराग की मर्यादा करती है । इस कारण से ऐसी स्त्रि पुत्र पुत्री का अच्छा फल प्राप्त करती हैं। केवल रुधिर' से या केवल बिन्दु से प्रजा प्राप्त नहीं हो सक्ती ऐसे ही ऋतु के रुधिर सिवाय अन्य रुधिर प्रजा
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