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थोकडा संग्रह।
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१५७ मनुष्य एकांत मिथ्यात्वी अपर्याप्त में
- - १५७ - १५८ नो गर्भज एकांत मिथ्या
दृष्टि बादर में ___ - २० १५६ तियक लोक प्रत्येक
शरीरी पर्याप्त में - २२ १६० तिर्यक् लोक कृष्ण लेशी
सम्यग् दृष्टि में - १८ ६० १६१ तियक् लोक पर्याप्त में - २४ १०१ ३६ १६२ देवता सम्यग् दृष्टि में - - - १६२ १६३ स्त्री वेद अवधि दर्शन में - ५ ३० १२८ १६४ प्रत्येक शरीरी नो गर्भज __ एकान्त मिथ्या दृष्टि में १ २६ १०१ ३६ १६५ पंचेन्द्रिय नपुंसक वेद में १४२० १३१ - १६६ अभाषक मरने वालों में -. ३५ १३१ - १६७ कृष्ण लेशी घ्राणेन्द्रिय वचन योगी में
३ १२ १०१ ५१ १६८ कृष्ण लेशी वचन योगी में ३ १३.१०१ ५१ १६६ तिर्यक् लोक नो गर्भज..
कृष्ण लेशी त्रस में - १६ १०१ ५२ १७० तेजो लेशी वचन योगी में - ५ १०१ ६४.
चाणान्द्रय
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