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पुद्गल परावर्त ।
( ३७७)
जाने बाद होता है । सात पुद्गल परावत में अनन्त अनन्त काल चक्र व्यतीत हो जाते हैं।
॥इति काल द्वार ॥ ६ काल की ओपमा:-काल समझाने के लिये एक दृष्टान्त दिया जाता है। परमाणु यह सूक्ष्म से सूक्ष्म रज करण, यह अतीन्द्रिय ( इन्द्रिय से अगम्य ) होता है कि जिसका भाग व हिस्सा किसी भी शस्त्र से किंवा किसी भी प्रकार से हो सक्ता नहीं अत्यन्त बारीक सूक्ष्म से सूक्ष्म रज कण को परमाणु कहते हैं । इस प्रकार के अनन्त सूक्ष्म परमाणु से एक व्यवहार परमाणु होता है। २ अनन्त व्यवहार परमाणु से एक उष्ण स्निग्ध परमाणु होता है । ३ अनन्त उष्ण स्निग्ध परमाणु से एक शीत स्निग्ध परमाणु होता है । ४ आठ शीत स्निग्ध परमाणु से एक ऊर्ध्व रेणु होता है । ५ आठ ऊधरेणु से एक त्रस रेणु । ६ आठ त्रस रेणु से एक रथरेणु । ७ आठ रथ रेणु से देव-उत्तर कुरु के मनुष्यों का एक बालान । हरि-रम्यक वर्ष के मनुष्यों का एक बालान 8 इन आठ बालाग्र से हेमवय हिरण्य वय मनुष्यों का एक वालाग्र १० इन आठ बालान से पूर्व विदेह व पश्चिम विदेह मनुष्यों का एक बालाग्र ११ इन बालान से भरत ऐरावत के मनुष्यों का एक बालाग्र १२ इन आठ बालाग्र से एक लीख १३ अाठ लीख की एव जूं, १४ आठ जूं का एक
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